Arti
।। आरती माँ शाकम्भरी देवी जी की ।।
हरि ॐ श्री शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो
ऐसी अद्भुत रूप हृदय धर लीजो
शताक्षी दयालु की आरती कीजो
तुम परिपूर्ण आदि भवानी मां, सब घट तुम आप बखानी मां
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो
तुम्हीं हो शाकुम्भर, तुम ही हो सताक्षी मां
शिवमूर्ति माया प्रकाशी मां,
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो
नित जो नर–नारी अम्बे आरती गावे मां
इच्छा पूर्ण कीजो, शाकुम्भर दर्शन पावे मां
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो
जो नर आरती पढ़े पढ़ावे मां, जो नर आरती सुनावे मां
बस बैकुंठ शाकुम्भर दर्शन पावे
शाकुम्भरी अंबाजी की आरती कीजो।
Aarti
।। आरती माँ अम्बे की ।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी|
तुमको निशदिन ध्यावत , हरि ब्रह्मा शिवरी || ॐ जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को|
उज्ज्वल से दो नैना, चंद्रवदन नीको|| ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै |
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै || ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी |
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी || ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती |
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति || ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती |
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती || ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे |
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे || ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी, तुम कमला रानी |
आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी || ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव |
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु || ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता |
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता || ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी |
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी || ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती |
श्रिमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति || ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अंबेजी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपत्ति पावे || ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ||ॐ जय अम्बे गौरी